हक़ीक़त में न उतरे कभी चेहरे जो ख़्वाब में रहे
हर घडी हर पल बस ज़िंदगी के गुणा-भाग में रहे
एक हम हैं आवारगी में ज़िंदगी गुज़ार दी अपनी
एक वो हैं उम्रभर हया के हमसाया हिज़ाब में रहे
एक चाहत को दिल दबाए रखे हैं कुछ इस तरह
जैसे किसी की यादों के सूखे फूल किताब में रहे
मुस्कुराकर कहते रहिए जनाब सब अच्छा है
अंदर-अंदर जिंदगी चाहे जितने अजाब में रहे